मांडा में चार परिषदीय स्कूल बंद होने की कगार पर, ग्रामीणों में चिंता की लहर

 मांडा में चार परिषदीय स्कूल बंद होने की कगार पर, ग्रामीणों में चिंता की लहर 


(प्रतीकात्मक फोटो मानस न्यूज)


चपरतला,रामपुर सीरिया,मड़ौला,डंडिया स्कूल का मामला, छात्रों की संख्या निर्धारित मानक से हुई कम


 मांडा। ब्लॉक के चार परिषदीय विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम होने के कारण बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। बीईओ राजीव प्रताप सिंह ने इन विद्यालयों की सूची तैयार कर अफसरों को कार्रवाई के लिए भेज दी है। चपरतला, रामपुर सीरिया, डंडिया और मड़ौला गांव के विद्यालयों में छात्रों की संख्या सरकार द्वारा निर्धारित 50 के आंकड़े से कम है। ब्लॉक क्षेत्र में 142 परिषदीय विद्यालय मौजूद है। जिनमें चार स्कूलों के संचालन पर ग्रहण लगने वाला है,क्योकि नामांकित छात्रों का आंकड़ा बेहद निराशाजनक पाया गया है। चपरतला स्कूल में 42 छात्र हैं, जिनमें से 21 छात्राएं हैं। स्कूल में प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर आजाद व सलमा परवीन की तैनाती हैं। रामपुर सीरिया में 26 छात्र हैं, जिनमें से 11 छात्राएं हैं। स्कूल में प्रधानाध्यापक अमित पांडेय व राजकुमार तैनात हैं। मड़ौला में 29 छात्र हैं, जिनमें छात्राएं अधिक हैं। स्कूल में प्रधानाध्यापक चंद्रभूषण, दिनेश कुमार,शिक्षामित्र निशा सिंह की तैनाती है। डंडिया परिषद स्कूल में नामांकित छात्रों की संख्या 42 है। स्कूल में प्रधानाध्यापक गोवर्धन व अर्चना श्रीवास्तव की तैनाती है। ग्रामीणों और शिक्षकों में चिंता की लहर है, क्योंकि स्कूल बंद होने से बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और शिक्षकों व रसोइयां की नौकरी पर भी संकट आ जाएगा। शिक्षकों को दूर के विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। सम्बंधित गांव के मनोज, विजय, छोटेलाल का कहना है कि सरकार को इस मामले में विचार करना चाहिए और विद्यालयों को बंद करने के बजाय उन्हें सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए। मामले में बीईओ राजीव प्रताप सिंह ने कहा कि छात्र आंकड़ा कम होने वाले चार विद्यालय की सूची तैयार कराकर विभागीय अफसरों को भेज दी गई है। विद्यालय संचालित रखने या बंद करने का निर्णय साशन स्तर पर लिया जाना है। मामले में क्या कहते है जनप्रतिनिधि- सबंधित गांव के प्रधान श्याम बहादुर, राजकुमार व बृजभूषण पांडेय ने कहा कि स्कूल का संचालन बंद होने से बच्चों को दूरस्थ स्कूलों में जाना होगा, जिससे उनकी शिक्षा पर असर पड़ेगा। शिक्षकों व रसोइयां की नौकरी पर संकट आ जाएगा। ग्रामीणों को अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में परेशानी होगी। स्कूलों की सुविधाएं, जैसे कि पुस्तकालय, खेल के मैदान और शौचालय, भवन बेकार हो जाएंगे। ग्रामीणों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने में परेशानी होगी, क्योंकि दूरस्थ स्कूलों में जाने के लिए परिवहन की सुविधा नहीं होगी। सरकार को इस मामले में जल्दी से जल्दी कदम उठाने चाहिए और विद्यालयों को सुधारने के लिए योजनाएं बनानी चाहिए। 

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