शांति का दुर्लभ उदाहरण: बागपत का सरोरा गांव
शांति का दुर्लभ उदाहरण: बागपत का सरोरा गांव,
जहां 2 दशक से नहीं हुआ कोई अपराधिक मामला
बागपत के सरोरा गांव में एक अनोखी मिसाल देखने को मिल रही है, जहां पिछले 2 दशक से कोई बड़ी आपराधिक घटना नहीं हुई है। यह गांव भाईचारे और शांति का प्रतीक बन गया है, जहां मामूली विवाद भी बुजुर्गों की मध्यस्थता से सुलझ जाते हैं।
गांव के लोगों ने 23 साल पहले एक दर्दनाक घटना के बाद सबक लिया था, जब एक झगड़े में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इससे पूरे गांव में मातम छा गया था और पुलिस की कार्रवाई के दौरान भी लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ी थीं। इसके बाद, गांव के बुजुर्गों ने एकजुट होकर भविष्य में किसी तरह का झगड़ा व विवाद न करने की अपील की थी।
आज, सरोरा गांव पुलिस अफसरों की नजरों में एक आदर्श गांव बन गया है, जहां शांति और भाईचारा ही सबसे बड़ी पूंजी है। गांव के लोगों का मानना है कि विवादों से बचने के लिए बुजुर्गों की मध्यस्थता सबसे अच्छा तरीका है। गांव में दो मंदिर हैं और एक प्राथमिक व एक उच्च प्राथमिक विद्यालय है, जो शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं।
सरोरा गांव की इस अनोखी मिसाल ने पूरे क्षेत्र में प्रेरणा फैलाई है और लोगों को शांति और भाईचारे के महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया है। यह गांव एक सच्ची मिसाल है कि कैसे एकजुटता और मध्यस्थता से विवादों को सुलझाया जा सकता है और शांति कायम रखी जा सकती है।

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