सूखी नदी कर्णावती को अफसरों के संकल्प से मिला नवजीवन

सूखी नदी कर्णावती को अफसरों के संकल्प से मिला नवजीवन






, बदला हजारों लोगों का जीवन,



सीडीओ व बीडीओ के संकल्प से नदी की खोदाई और साफ-सफाई कार्य हुआ पूर्ण,


 मांडा। क्षेत्र की कर्णावती नदी सिल्ट भरने के कारण 20 वर्षों से सूखी थी, लेकिन युवा सीडीओ गौरव कुमार और बीडीओ अमित मिश्र के संयुक्त प्रयास से मिली सफलता ने करीब 50 किमी लंबी नदी को पुनर्जीवन दिया है। मांडा के 13 ग्राम पंचायतों की जीवन रेखा मानी जाने वाली इस नदी का उदगम विंध्य पर्वत शृंखला मांडा के मूर्तियादह से हुआ है और यह मांडाखास, गिरधरपुर, बेदौली, हंडिया, उल्दा, महुआंव कला, राजापुर, सैबसा, धरांवनारा, सिकरा, उंटी, पयागपुर, भौसरा नरोत्तम आदि गांवों से होकर गुजरती है। नदी के उद्गम स्थान पर ही मांडव्य ऋषि की तपोस्थली है। नदी की लंबाई मांडा क्षेत्र में करीब 21 किमी है। नदी की खोदाई और साफ-सफाई का काम मनरेगा योजना के तहत किया गया है, जिसमें स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी मिले हैं। 12 गांवों में नदी से सिल्ट हटाने व तलहटी की खोदाई के लिए करीब 203 लाख रुपये का प्राकलन तैयार किया गया था। नदी के 19 किमी क्षेत्र की खोदाई के लिए सैकड़ो मनरेगा श्रमिकों को काम पर लगाया गया। बीते वित्तीय वर्ष में बारिश सुरु होने व नदी में जगह-जगह पानी जमा होने से कार्य प्रभावित रहा। पानी सूखने पर नदी से सिल्ट हटा कर खोदाई पूर्ण करा लिया गया और नदी को पुनर्जीवन मिला।



सीडीओ और बीडीओ की दूरदर्शिता और संकल्प-


सीडीओ गौरव कुमार और बीडीओ अमित मिश्रा की दूरदर्शिता और संकल्प ने नदी को पुनर्जीवन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने मनरेगा योजना के तहत ग्रामीणों के साथ मिलकर नदी की खोदाई और साफ-सफाई का काम किया और नदी को उसके पूर्व आकार में लाने में सफल रहे। सीडीओ गौरव कुमार ने वर्ष 2023 में पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजापुर गांव में फावड़े से नदी की खोदाई कर जीर्णोद्धार कार्य का शुभारंभ किया था, जो एक नए युग की शुरुआत थी। उनकी मेहनत और संकल्प ने सैकड़ो बीघे उपजाऊ भूमि को सिचाई के लिए पानी उपलब्ध करा दिया है। सीडीओ गौरव कुमार और बीडीओ अमित मिश्रा की इस उपलब्धि की ग्रामीण सराहना करते नही थक रहे। 



नदी की महत्ता और भविष्य की योजनाएं-


कर्णावती नदी का जिला मीरजापुर, गैपुरा विंध्य क्षेत्र में गंगा नदी में जुड़ना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दोनों नदियों के बीच जल संसाधनों को साझा करने में मदद करेगा और क्षेत्र की जल सुरक्षा को बढ़ावा देगा। यह नदी की महत्ता को और भी बढ़ा देता है। राजापुर गांव में नदी के तट पर महिलाएं ललही छठ की पूजा करती हैं, जो नदी के प्रति उनकी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है। नदी के दोनों किनारे पर फलदार और छायादार पौधे रोपे जा रहे हैं और हर वर्ष नदी की तलहटी की खोदाई होगी। इसके अलावा, सिचाई के लिए मांडा क्षेत्र में छह चकडैम का निर्माण पहले से किया गया है, जो नदी के पानी को संचय करने में मदद करेगा। नदी में जल होने से क्षेत्रीय किसानों सहित मवेशियों,जलीय जीवों को लाभ मिलेगा। 



पुनः जीवंत हुई नदी का सुखद अनुभूति-


पुनः जीवंत हुई नदी सुखद अनुभूति देती है और इसके जीर्णोद्धार कार्य से हजारों लोगों को रोजगार का अवसर मिला। नदी के तलहटी गहरा किया गया और अब नदी अपने पूर्व आकार में आ गई है, पानी भर चुका है। वर्ष 2001 बाद जन्मे बच्चे तो नदी की कहानियां ही सुनते थे, लेकिन अब जीवंत हुई नदी का साक्षात्कार कर रहे हैं। सीडीओ व बीडीओ के नवाचार की बदौलत जीवंत हुई नदी को देखकर ग्रामीण अफसरों की तारीफ कर रहें है। संवाद---

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