सीएम आरोग्य मेले की विफलता: केडवर पीएचसी में बंद रहा ताला, मरीजों में मायूसी, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर

केडवर पीएचसी में ताला लटकने से तय हुई मरीजों की किस्मत, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल

*रवि गुप्ता (चीफ एडिटर) मानस न्यूज*

प्रयागराज। मांडा ब्लॉक क्षेत्र में सीएम जनअरोग्य मेले की विफलता का मामला सामने आया है। केडवर गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आयोजित मेले में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी अनुपस्थित रहे। अस्पताल में ताला लटकता मिला और मरीजों को निराशा हाथ लगी।

इस मेले में 19 मरीजों का इलाज करने की मनगढंत सूचना विभाग को भेज दी गई, जबकि क्षेत्र में वायरल बुखार व डायरिया का प्रकोप बढा हुआ है। स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही के कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाया।

इसी तरह पिछले रविवार को महेवा कला पीएचसी में ताला लटकने का मामला सामने आने पर सीएचसी अधीक्षक डॉ अजित सिंह ने चार स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन काटने का निर्देश दिया था। बावजूद इसके स्वास्थ्य कर्मी की लापरवाही रुकने का नाम नहीं ले रही है।

सूरज ने कहा:-

मेरी बेटी को वायरल फीवर हो गया है, लेकिन पीएचसी पहुंचने पर अस्पताल में ताला लटकता मिला। यह स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का ज्वलंत उदाहरण है। हमारे गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, और अब तो यह स्थिति और भी बदतर हो गई है। मैं सीएमओ से मांग करता हूं कि वे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करें और हमारे गांव में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति करें।

प्रधान प्रतिनिधि करुणा शंकर ने कहा:

स्वास्थ्य कर्मियों की अनुपस्थिति ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर किया है। यह सरकार की योजनाओं की विफलता का प्रमाण है। हमारे गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की मांग है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण हमें निराशा हाथ लग रही है। मैं आलाधिकारियों से मांग करता हूं कि वे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करें और हमारे गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाएं।


सीएचसी अधीक्षक मांडा डॉ अजीत सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के पेट में दर्द होने लगा, जिसके चलते स्वास्थ्य कर्मी अस्पताल में ताला बंद कर जल्द वापस लौट आए। आरोग्य मेला बीच में रोक दिया गया।


यमुनापार विकास मंच अध्यक्ष सर्वेश तिवारी बाबा ने कहा:

सीएचसी अधीक्षक का बयान हास्यास्पद है। क्या एक साथ सभी स्वास्थ्य कर्मियों के पेट में दर्द होने लगा? इलाज करने वालों को खुद अपना इलाज करना चाहिए, न कि मरीजों को निराशा के सागर में डूबने देना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना चाहिए।



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