प्रयागराज: भगवान की मूर्ति चोरी का अनोखा मामला: गलती का पश्चाताप कर एक सप्ताह बाद चोर ने लौटाई मूर्ति- पढ़े चोर का माफीनामा
प्रयागराज: भगवान की मूर्ति चोरी का अनोखा मामला: गलती का पश्चाताप कर एक सप्ताह बाद चोर ने लौटाई मूर्ति- पढ़े चोर का माफीनामा
MANAS NEWS-24
प्रयागराज। श्रृंगवेरपुर के गऊघाट आश्रम मंदिर से आठ दिन पहले चोरी हुई श्रीराधा-कृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति हाईवे के सर्विस मार्ग से बरामद हुई। चोर ने मूर्ति के साथ एक माफीनामा भी छोड़ा, जिसमें उसने अपनी अज्ञानता का उल्लेख करते हुए मूर्ति लौटाने की बात लिखी है। सूचना पर पहुंची स्थानीय पुलिस लिखापढ़ी के बाद मूर्ति को आश्रम संचालक के सुपुर्द कर दिया।
एक सप्ताह पूर्व शृंग्वेरपुर धाम के गऊघाट आश्रम स्थित राम-जानकी मंदिर का ताला तोड़कर अष्टधातु की 100 वर्ष पुरानी राधा-कृष्ण की मूर्ति चोरी हो गई थी। मामले में पुलिस ने दो संदिग्धों को हिरासत में भी लिया था, लेकिन मूर्ति का कोई सुराग नहीं मिला। मंगलवार को सुबह करीब 11.30 बजे हंडिया-कोखराज के सर्विस मार्ग पर आश्रम के सामने किसी ने मूर्ति देखी तो आश्रम के महंत को जानकारी दी।
पत्र में चोर ने लिखा कि मूर्ति चुराने के बाद से उसका बेटा बीमार हो गया और उसे बुरे सपने आने लगे। उसने मूर्ति को बेचने के लिए उसकी पालिश कराकर आकार बदल दिया था, लेकिन अब वह अपनी गलती की माफी मांगता है और भगवान को फिर से मंदिर में रखने की विनती करता है।
मर्ति को आश्रम संचालक फलाहारी महंत स्वामी जयराम दास महाराज के सुपुर्द कर दिया गया और उन्होंने पूजन-अर्चन के बाद मूर्ति मंदिर में स्थापित कर दी। यह घटना एक सप्ताह पूर्व शृंग्वेरपुर धाम के गऊघाट आश्रम स्थित राम-जानकी मंदिर का ताला तोड़कर हुई थी, जिसमें पुलिस ने दो संदिग्धों को हिरासत में लिया था।
चोर के माफीनामे में लिखा था, "महाराज जी, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई थी। अज्ञानतावश मैंने राधा-कृष्ण की मूर्ति गऊ घाट से चुरा लिया था। मैं अपनी गलती की माफी मांगता हूं और भगवान को फिर से मंदिर में रखने की विनती करता हूं।"
इस घटना ने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है और यह दर्शाती है कि कभी-कभी लोग अपनी गलतियों का पश्चाताप कर सकते हैं और सही रास्ते पर लौट सकते हैं।
आश्रम के महंत ने कहा, "यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि भगवान की कृपा से हमें अपनी गलतियों से सीखने और सुधारने का मौका मिलता है। हमें चोर की माफी स्वीकार करते हुए भगवान को फिर से मंदिर में स्थापित करने में खुशी है।"
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