उम्र और अनुभव ने बदली गांधी जी की पोशाक, मजदूरों की गरीबी देखकर पगड़ी छोड़ किसानों के लिए अपनाया खादी

उम्र और अनुभव ने बदली गांधी जी की पोशाक, मजदूरों की गरीबी देखकर पगड़ी छोड़ किसानों के लिए अपनाया खादी

रवि गुप्ता (चीफ एडिटर) मानस न्यूज 24

प्रयागराज। मोहन दास करम चंद्र गांधी यानी महात्मी गांधी के बारे में कहा जाता है कि अंग्रेजों के खिलाफ एक स्ट्रैटजी के तहत उन्होंने अपने ड्रेसिंग स्टाइल को बदला था। 

उनके परपोते तुषार गांधी बताते हैं कि जब भी कोई भारतीय नेता अंग्रेजों से मिलने जाता तो अंग्रेजी तौर तरीके से जाता था। मगर गांधी जी ने ऐसा नहीं किया इससे अंग्रेज परेशान हो गए। उन्हें लगा कि ये इंसान तो हमारे जैसा दिखने की कोशिश भी नहीं कर रहा है। अपने कपड़ों से गांधी एक मनोवैज्ञानिक खेल भी खेल रहे थे।

गांधी जी कहते थे- तन ढंकने के लिए भले ही कम कपड़ा पहनो, लेकिन जितना कपड़ा पहनो स्वदेशी हो। उनके लिए कपड़े लाइफ स्टाइल नहीं फिलॉसफी थे। यही वजह रही कि उन्होंने उम्र के हर पड़ाव पर जरूरत के हिसाब से अपने कपड़ों की पसंद भी बदली। पढ़िए कैसे वक्त के साथ बदला गांधी का पहनावा...



बचपनः ट्रेडिशनल कपड़े पसंद थे

आपको बता दे कि गांधी जी का जन्म गुजराती परिवार में हुआ। पोरबंदर और राजकोट में पारंपरिक गुजराती तरीके से उनकी परवरिश हुई। परिवार में उनका प्यार का नाम 'मोनिया' था। माता-पिता और दोस्त इसी नाम से पुकारते थे। उस उम्र के उनके उपलब्ध फोटो में वे एक गोल टोपी पहने हैं।


1891: लंदन में विलायती ड्रेस

आपको बता दे कि लंदन में पढ़ाई के दौरान कोट, पैंट, टाई और टोपी पहनने लगे। तब वे अंग्रेजी शैली का जीवन जीने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन भारतीयों के प्रति भेदभाव देख उन्होंने अपनी मूल पहचान को फिर अपनाया और 1913 में सूट छोड़कर धोती और कुर्ता पहनने लगे।


1915: धोती और कुर्ते के साथ पगड़ी

आपको बता दे कि वे खास तरह की काठियावाड़ी पगड़ी भी पहनने लगे थे। 1918 में अहमदाबाद में कारखाना मजदूरों की लड़ाई में शरीक हुए तो देखा कि पगड़ी में जितना कपड़ा लगता है उसमें 'चार लोगों का तन ढका जा सकता है। इसे देख उन्होंने पगड़ी हमेशा के लिए उतार दी।



1918: खादी का प्रयोग शुरू किया

आपको बता दे कि 1918 में खेड़ा में किसानों के सत्याग्रह के दौरान खादी प्रतिज्ञा की, ताकि किसानों को कपास की खेती के लिए मजबूर ना किया जा सके। उन्होंने प्रण लेते हुए कहा था, 'आज के बाद मैं जिंदगी भर हाथ से बनाए हुए खादी के कपड़ों का इस्तेमाल करूंगा।'



1919 : गांधी टोपी पहली बार पहनी

आपको बता दे कि 1919 में गांधी जी नवाब सैयद हामिद अली खान से मिलने पहुंचे थे। नवाब से मिलने के लिए सिर ढंकना जरूरी था। तब अली ब्रदर्स की मां अबादी बेगम ने बापू के लिए टोपी बनाई। आज यह गांधी टोपी के नाम से मशहूर है। अधिकतर नेता यही गांधी टोपी लगाते हैं।


1930 : दांडी मार्च से लाठी उठाई

आपको बता दे कि 1930 तक धोती, चादर, चप्पल और लाठी गांधी जी की पहचान बन गई थी। 1941 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय तक गांधी जी केवल एक छोटी-सी धोती पहनते थे। वे कहते थे... मेरे जीवन में परिवर्तन होते गए और उसके साथ-साथ मेरी पोशाक भी बदलती गई।

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